आज के दौर में हम विकास की अंधी दौड़ में शामिल हैं। हम अपने जीवन और प्रकृति के बीच के अन्तर्सम्बन्धों को समझे बिना जी रहे हैं। इससे हमारा स्वास्थ्य बिगड़ रहा है । हमारी परम्परिक व्यवस्थाओं में प्रकृति के साथ जीने की कला समाहित थी जो हमें स्वस्थ रखती थी। आज स्वस्थ जीवन के लिए फिर से उस ओर ध्यान देने का समय आ गया है।पूर्व की प्रकृति प्रेमी व्यवस्थाओं को पुनः स्थापित करने के लिए जैविक खेती और उत्पादों पर जोर देना जरूरी हो गया है।
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