Tuesday, May 12, 2020

जाड़े में जिमिकंद

शास्त्रीय मतानुसार जिमिकंद एक अत्यंत उपयोगी जड़ है. स्वाद और उपयोगिता का विस्तार भी बड़ा है. 

  • Time For Using : दीवाली से होली तक इस कंद के विविध उपयोग करने ही चाहिए. 
  • केवल एक चेतावनी है. खाज, कोढ़ और एक्जिमा के रोगियों को इसके उपयोग से विशेष परहेज रखना चाहिए.



आजकल के मौसम में खड़े मसाले के जिमिकंद और मटर का रसा राेगन जोश का पयार्य होना चाहिए. हमारी सलाह के मुताबिक छोटा परिवार भी आधा किलो जिमिकंद और कम से कम पाव भर कचिया मीठी मटर के दाने अवश्य रचाये.
आधा किलो जिमिकंद को विधिवत छील कर टुकड़े बनाने में न्यूनतम 70-80 ग्राम कूड़ा तो अवश्य निकल जायेगा. इक सार टुकड़े काटें और इमली या अमचूर के पानी में एक घंटा अवश्य भिगोकर रखें वर्ना उसकी खराश बची रह सकती है जो सब्जी के स्वाद को पूरी तरह से नष्ट कर देगी.
इस तरह खटाई में भीगे जिमिकंद को अच्छी तरह धोकर छलनी में निचुड़ने के लिए रख दें. अब छील कर चार गांठ लहसन की महीन चटनी तैयार करें. उसी सिल पर दो मध्यम आकार के प्याज भी पीस लें. हल्दी, धनिया आैर लाल मिर्च भी भिगो कर पीस लें. तेल हो जाये तो उसमें लहसन की चटनी भूननी शुरू करें तब सूक्ष्म मात्रा में साबुत गर्म मसाला (चार लौंग, 8 काली मिर्च, दो छिलका बड़ी इलायची, आधा इंच टुकड़ा दाल चीनी) लहसुन गुलाबी हो जाये तो उसमें प्याज की चटनी डाल दें. प्याज भी भुन जा तो मिर्ची का घोल डाल कर भूनें. इसके बाद हल्दी, धनिया, अदरक की चटनी, जिमिकंद के टुकड़े, मटर के दाने, सब एक साथ डाल कर अच्छी तरह भूनें. इस तरह सब माल जब तेल छोड़ने लगे ताे उसमे आवश्यकतानुसार पानी लगा कर नमक डाल दें.
इस मिश्रण को मंदी आंच पर 25 से 30 मिनट पकने दें. आंच से उतारने से पहले इतना अवश्य परख लें कि जिमिकंद अच्छी तरह मुलायम हो गया है या नहीं. एक चुटकी गर्म मसालों का प्रयोग कर सकते हैं.
यह एक ऐसा सालन है जिसे चावल में सान कर भी प्रयोग कर सकते है और सादी रोटी के साथ लगा कर भी. जिमिकंद के शाकाहारी कबाब भी शाही व्यंजन में गिने जाते हैं. ऐसे कबाब किसी भी शाही दावत की रौनक बड़ा सकते हैं.
जिमिकंद छील कर टुकड़े बनाने और खटाई के पानी में खराश धोने तक विधि समान ही है. उसके बाद जिमिकंद के टुकड़े उबाल कर छलनी में सूखने के लिए रख दें. बाकी तैयारी में स्वादानुसार अदरक, हरी मिर्च और लहसुन की चटनी बना लें. इसे जिमिकंद की उबली पीठी में अच्छी तरह मिला लें. यदि आधा किलो जिमिकंद है तो इसमें करीब 150 ग्राम चने का सत्तू मिला ले और कम से कम 50 ग्राम सूखी मेथी या 150 ग्राम हरि मेथी के बारीक कटे पत्ते. इस सब तैयारी के बाद स्वादनुसार नमक और अनारदाने का चूर्ण अवश्य मिला लें. बस अब गोल-गोल टिकिया बनाए और तवे पर आलू की टिकिया की तरह पर्याप्त तेल में तल लें.
आलू फिंगर
इससे अतिरिक्त जिमिकंद के तले हुए टुकड़े बिल्कुल आलू फिंगर की तरह मसाला लगा कर चाय के साथ नोश फरमाये जा सकते हैं. जिमिकंद का चोखा यानी भरता भी बना सकते हैं.
किंतु सर्वाधिक उपयोगी एवं रोचक व्यंजन तो जिमिकंद की पानी या तेल वाली कांजी है. पानी की कांजी तो बिल्कुल सरल है. उबले हुए टकुड़ों को साधारण राई के पानी में डालकर कांच के बर्तन को धूप में रख दे. तीन से चार दिन में कांजी तैयार हो जायेगी.
जिमिकंद का राई का अचार डालना हो तो टुकड़ों को थोड़ा बारीक काटना चाहिए. इन टुकड़ों को तेल में सूखी सब्जी की तरह छौंक दीजिए. सब्जी ठंडी हो जाये तो उसमें पिसी राई का चूर्ण मिला कर बर्नी में भर दें. एक हफ्ते दस दिन में अचार तैयार हो जायेगा. यदि यह आचार तेल में डूबा रहेगा तो छह महीने भी यथावत बना रहेगा.
- सेहत, स्वाद और संस्कृति  (अरुण कुमार पानीबाबा के भोजन और स्वास्थ्य संबंधी लेखों के संचयन से साभार )

No comments:

Post a Comment

Krishi Swaraj - Now Traditional Organic Rice Available in Delhi

  Importance of The Traditional Varieties  of RICE :  Kusumkali and Sapuri  - non aromatic -  climate resilient  and Insect resisitant Tradi...